मेरी आत्मा की तलाश में हूँ।
उस शांति की आश में हूँ ।।
चारो तरफ नीला समंदर है।
मैं अभी भी पानी की तलाश में हूँ।।
हर एक पग पर मानव जीवन है।
मैं तो मानवता की तलाश में हूँ।।
सूरज तो चमक रहा है।
मैं तो उजाले की तलाश में हूँ।।
बाग़ फूलों से लद गए है।
मैं अभी भी सुघंध के तलाश में हूँ।।
मेरी आत्मा की तलाशा में हूँ।
उस शांति की आश में हूँ ।।
उस शांति की आश में हूँ ।।
चारो तरफ नीला समंदर है।
मैं अभी भी पानी की तलाश में हूँ।।
हर एक पग पर मानव जीवन है।
मैं तो मानवता की तलाश में हूँ।।
सूरज तो चमक रहा है।
मैं तो उजाले की तलाश में हूँ।।
बाग़ फूलों से लद गए है।
मैं अभी भी सुघंध के तलाश में हूँ।।
मेरी आत्मा की तलाशा में हूँ।
उस शांति की आश में हूँ ।।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें